Table of Contents

(नोट:- समेकित नियमावली में संशोधनों का समावेश करने में पूर्ण सावधानी बरती गयी है तथापि सन्दर्भ हेतु सरकारी गजट का ही प्रयोग किया जाये)

उत्तर प्रदेश सहायक आबकारी आयुक्त सेवा नियमावली, 1992 (प्रथम संशोधन-1997 तक संशोधित)

भाग-एक-सामान्य

1. संक्षिप्त नाम और प्रारम्भ

(एक) यह नियमावली उत्तर प्रदेश सहायक आबकारी आयुक्त सेवा नियमावली, 1992 कही जायगी।
(दो) यह तुरन्त प्रवृत्त होगी।

2. सेवा की प्रास्थिति

उत्तर प्रदेश सहायक आबकारी आयुक्त सेवा एक राज्य सेवा है जिसमें समूह “ख” के पद समाविष्ट हैं।

3. परिभाषायें

जब तक विषय या संदर्भ में कोई प्रतिकूल बात न हो, इस नियमावली में-
(क) “नियुक्ति प्राधिकारी” का तात्पर्य राज्यपाल से है;
(ख) “भारत का नागरिक” का तात्पर्य ऐसे व्यक्ति से है, जो संविधान के भाग-दो के अधीन भारत का नागरिक हो या समझा जाय;
(ग) “आयोग” का तात्पर्य उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग, उत्तर प्रदेश से है;
(घ) “संविधान” का तात्पर्य भारत का संविधान से है;
(ङ) “सरकार” का तात्पर्य उत्तर प्रदेश की राज्य सरकार से है;
(च) “राज्यपाल” का तात्पर्य उत्तर प्रदेश के राज्यपाल से है;
(छ) “सेवा का सदस्य” का तात्पर्य सेवा के संवर्ग में किसी पद पर इस नियमावली या इस नियमावली के प्रारम्भ होने के पूर्व प्रवृत्त नियमों या आदेशों के अधीन मौलिक रूप से नियुक्त व्यक्ति से है;
(ज) “सेवा” का तात्पर्य उत्तर प्रदेश सहायक आबकारी आयुक्त सेवा से है;
(झ) “मौलिक नियुक्ति” का तात्पर्य सेवा के संवर्ग में किसी पद पर ऐसी नियुक्ति से है जो तदर्थ नियुक्ति न हो और नियमों के अनुसार चयन के पश्चात् की गयी हो और यदि कोई नियम न हो, तो सरकार द्वारा जारी किये गये कार्यपालक अनुदेशों द्वारा तत्समय विहित प्रक्रिया के अनुसार की गयी हो;
(ञ) “भर्ती का वर्ष” का तात्पर्य कलेन्डर वर्ष की पहली जुलाई से प्रारम्भ होने वाली बारह मास की अवधि से है।

भाग-दो-संवर्ग

4. सेवा का संवर्ग

(1) सेवा की सदस्य संख्या उतनी होगी जितनी सरकार द्वारा समय-समय पर अवधारित की जाय।
(2) जब तक उपनियम (1) के अधीन परिवर्तन करने के आदेश न दिये जायं, सेवा की सदस्य संख्या निम्न प्रकार होगी-

पद का नाम

संख्या

सहायक आबकारी आयुक्त, जिसमें आबकारी आयुक्त के वैयक्तिक सहायक का एक पद सम्मिलित है।

स्थायी

अस्थायी

61
(जिसमें आस्थगित रखे गये सात स्थायी पद सम्मिलित हैं)

22
परन्तु
(1) नियुक्ति प्राधिकारी किसी रिक्त पद को बिना भरे हुए छोड़ सकता है या राज्यपाल उसे आस्थगित रख सकते हैं, जिससे कोई व्यक्ति प्रतिकर का हकदार न होगा;
(2) राज्यपाल ऐसे अतिरिक्त स्थायी या अस्थायी पदों का सृजन कर सकते हैं जिन्हें वह उचित समझें।

भाग-तीन-भर्ती

 5. भर्ती का स्त्रोत

सेवा में पदों पर भर्ती आयोग के माध्यम से पदोन्नति द्वारा ऐसे आबकारी अधीक्षकों में से, जो मौलिक रूप से नियुक्त किये गये हों और भर्ती के वर्ष के प्रथम दिवस को उस रूप में कार्य कर रहे हों, की जायगीः
परन्तु यदि भर्ती के किसी वर्ष में पदोन्नति के लिये पर्याप्त संख्या में अभ्यर्थी उपलब्ध न हों तो पात्रता के क्षेत्र में ऐसे मौलिक रूप से नियुक्त आबकारी निरीक्षकों जिन्होंने भर्ती के वर्ष के प्रथम दिवस को उस रूप में पन्द्रह वर्ष की सेवा पूरी कर ली हो को सम्मिलित करके विस्तार किया जा सकता है।
स्पष्टीकरण-परन्तुक में निर्दिष्ट ‘‘पन्द्रह वर्ष की सेवा‘‘ का तात्पर्य मौलिक नियुक्ति के दिनांक से प्रारम्भ होने वाले पन्द्रह वर्ष की सेवा से होगा।
परन्तु यह और कि, यदि पदोन्नति के लिये पर्याप्त संख्या में पात्र या उपयुक्त अभ्यर्थी उपलब्ध न हों, तो अर्हकारी सेवा की विहित अवधि को सरकार द्वारा ऐसी सीमा तक, जैसा वह आवश्यक समझे, आबकारी निरीक्षक पद के लिए विहित परीवीक्षा की अवधि को अपवर्जित करते हुए, शिथिल किया जा सकता है।

6. आरक्षण

अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य श्रेणियों के अभ्यर्थियों के लिए आरक्षण भर्ती के समय प्रवृत्त सरकार के आदेशों के अनुसार होगा।

भाग-चार-भर्ती की प्रक्रिया

7. रिक्तियों का अवधारण

नियुक्ति प्राधिकारी वर्ष के दौरान भरी जाने वाली रिक्तियों की संख्या और नियम-6 के अधीन अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य श्रेणियों के अभ्यर्थियों के लिए आरक्षित की जाने वाली रिक्तियों की संख्या भी अवधारित करेगा और उसकी सूचना आयोग को देगा।

8. पदोन्नति द्वारा भर्ती की प्रक्रिया

पदोन्नति द्वारा भर्ती समय-समय पर यथा संशोधित उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग सपरामर्श चयनोन्नति (प्रक्रिया) नियमावली, 1970 के अनुसार श्रेष्ठता के आधार पर की जायगी।

भाग पाॅच-नियुक्ति, परिवीक्षा, स्थायीकरण और ज्येष्ठता

9. नियुक्ति

(1) नियुक्ति प्राधिकारी अभ्यर्थियों के नाम उस क्रम से लेकर जिसमें वे नियम 8 के अधीन तैयार की गयी सूचियों में आये हों, नियुक्तियां करेगा।
(2) यदि किसी एक चयन के संबंध में एक से अधिक नियुक्ति के आदेश जारी किये जायं तो एक संयुक्त आदेश भी जारी किया जायगा जिसमें व्यक्तियों के नाम का उल्लेख यथास्थिति चयन में यथा अवधारित या जैसा कि उस संवर्ग में हो जिससे उन्हें पदोन्नत किया जाय, ज्येष्ठता क्रम में किया जायेगा।

10. परिवीक्षा

(1) सेवा में किसी पद पर मौलिक रूप से नियुक्त व्यक्ति को दो वर्ष की अवधि के लिए परिवीक्षा पर रखा जायेगा।
(2) नियुक्ति प्राधिकारी ऐसे कारणों से जो अभिलिखित किये जायेंगे, अलग-अलग मामलों के परिवीक्षा अवधि को बढ़ा सकता है, जिसमें ऐसा दिनांक विनिर्दिष्ट किया जायगा जब तक अवधि बढ़ायी जाय:
परन्तु आपवादिक परिस्थितियों के सिवाय, परिवीक्षा अवधि एक वर्ष से अधिक और किसी भी परिस्थिति में दो वर्ष से अधिक नहीं बढ़ायी जायगी।
(3) यदि परिवीक्षा अवधि या बढ़ायी गयी परिवीक्षा अवधि के दौरान किसी भी समय या उसके अन्त में नियुक्ति प्राधिकारी को यह प्रतीत हो कि परिवीक्षाधीन व्यक्ति ने अपने अवसरों का पर्याप्त उपयोग नहीं किया है या सन्तोष प्रदान करने में विफल रहा है तो उसे उसके मौलिक पद पर प्रत्यावर्तित किया जा सकता है।
(4) उपनियम (3) के अधीन जिस परिवीक्षाधीन व्यक्ति को प्रत्यावर्तित किया जाय वह किसी प्रतिकर का हकदार न होगा।
(5) नियुक्ति प्राधिकारी संवर्ग में सम्मिलित किसी पद पर या किसी अन्य समकक्ष या उच्चतर पद पर स्थानापन्न या अस्थायी रूप से की गयी निरन्तर सेवा को परिवीक्षा अवधि की संगणना करने के प्रयोजनार्थ गिने जाने की अनुमति के हकदार हैं।

11. स्थायीकरण

किसी परिवीक्षाधीन व्यक्ति को परिवीक्षा अवधि या बढ़ायी गयी परिवीक्षा अवधि के अन्त में उसकी नियुक्ति में स्थायी कर दिया जायगा, यदि-
(एक) उसका कार्य और आचरण सन्तोषप्रद बताया जाय, और
(दो) उसकी सत्यनिष्ठा प्रमाणित कर दी जाय, और
(तीन) नियुक्ति प्राधिकारी का यह समाधान हो जाय कि वह स्थायीकरण के लिये अन्यथा उपयुक्त है।

12. ज्येष्ठता

किसी श्रेणी के पदों पर मौलिक रूप से नियुक्त व्यक्तियों की ज्येष्ठता समय-समय पर यथा संशोधित उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक ज्येष्ठता नियमावली, 1991 के अनुसार अवधारित की जायगी।

भाग-छः- वेतन इत्यादि

13. वेतनमान

(1) सेवा में किसी पद पर, चाहे मौलिक या स्थानापन्न रूप में हो या अस्थायी आधार पर, नियुक्त व्यक्तियों का अनुमन्य वेतनमान ऐसा होगा जैसा सरकार द्वारा समय-समय पर अवधारित किया जाय।
(2) इस नियमावली के प्रारम्भ के समय सहायक आबकारी आयुक्त को वेतनमान 2,200-75-2,800- द0रो0-100-4,000 रुपये है।

14. परिवीक्षा अवधि में वेतन

(1) फण्डामेन्टल रूल्स में किसी प्रतिकूल उपबन्ध के होते हुए भी, परिवीक्षाधीन व्यक्ति या, यदि वह पहले से स्थायी सरकारी सेवा में न हो, समयमान में उसकी प्रथम वेतन वृद्धि तभी दी जायेगी जब उसने एक वर्ष की सन्तोषपद सेवा पूरी कर ली हो और जहां विहित हो, विभागीय परीक्षा उत्तीर्ण कर ली हो और प्रशिक्षण प्राप्त कर लिया हो और द्वितीय वेतन वृद्धि दो वर्ष की सेवा के पश्चात् तभी दी जायेगी जब उसने परिवीक्षा अवधि पूरी कर ली हो और उसे स्थायी भी कर दिया गया हो।
परन्तु यदि सन्तोष प्रदान न कर सकने के कारण परिवीक्षा अवधि बढ़ायी जाय तो इस प्रकार बढ़ायी गयी अवधि की गणना तब तक वेतन वृद्धि के लिए नहीं की जायेगी, जब तक कि नियुक्ति प्राधिकारी अन्यथा निर्देश न दें।
(2) ऐसे व्यक्तियों का, जो पहले से सरकार के अधीन कोई पद धारण कर रहे हो, परिवीक्षा अवधि में वेतन भुगतान फण्डामेण्डल रूल्स द्वारा विनियमित होगा।
परन्तु यदि सन्तोष प्रदान न कर सकने के कारण परिवीक्षा अवधि बढ़ायी जाय तो इस प्रकार बढ़ायी गयी अवधि की गणना तब तक वेतन वृद्धि के लिए नहीं की जायेगी जब कि कि नियुक्ति प्राधिकारी अन्यथा निदेश न दें।
(3) ऐसे व्यक्ति का, जो पहले से स्थायी सरकारी सेवा में हो, परिवीक्षा अवधि में वेतन राज्य के कार्य-कलाप के सम्बन्ध में सेवारत सरकारी सेवकों पर सामान्यतया लागू सुसंगत नियमों द्वारा विनियमित होगा।

15. दक्षता रोक पार करने का मानदण्ड

किसी भी व्यक्ति को दक्षता रोक पार करने की अनुमति तब तक नहीं दी जायेगी जब तक कि-
(एक) उसका कार्य और आचरण सन्तोषप्रद न पाया जाय;
(दो) उसने तत्परतापूर्वक और अपनी सर्वोत्तम योग्यता से कार्य न किया हो, और
(तीन) उसकी सत्यनिष्ठा प्रमाणित न कर दी जाय।

भाग-सात-अन्य उपबन्ध

16. पक्षसमर्थन

सेवा या पद के सम्बन्ध में लागू नियमों के अधीन अपेक्षित सिफारिश से भिन्न किसी अन्य सिफारिश पर चाहे लिखित हो या मौखिक विचार नहीं किया जायगा। किसी अभ्यर्थी की ओर से अपनी अभ्यर्थिता के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन प्राप्त करने का कोई प्रयास उसे नियुक्ति के लिए अनर्ह कर देगा।

17. अन्य नियमों का विनियमन

उन विषयों के सम्बन्ध में जो विनिर्दिष्ट रूप् से इस नियमावली या विशेष आदेश के अन्तर्गत न आते हो, सेवा में नियुक्त व्यक्ति ऐसे नियमों, विनियमों और आदेशों द्वारा नियंत्रित होंगे, जो राज्य के कार्य-कलाप के  सम्बन्ध में सेवारत सरकारी सेवकों पर सामान्यतया लागू होते हैं।

18. सेवा की शर्तों में शिथिलता

जहाँ राज्य सरकार का यह समाधान हो जाय कि सेवा में नियुक्त व्यक्तियों की सेवा की शर्तों को विनियमित करने वाले किसी नियम के प्रवर्तन से किसी विशिष्ट मामले में अनुचित कठिनाई होती है वहाँ वह उस मामले में लागू होने वाले नियमों में किसी बात के होते हुए भी आदेश द्वारा उस नियम की अपेक्षाओं को उस सीमा तक और ऐसी शर्तों के अधीन रहते हुए जिन्हें वह मामले में न्याय संगत और साम्य पूर्ण रीति से कार्यवाही करने के लिए आवश्यक समझें, अभिमुक्त या शिथिल कर सकती हैः
परन्तु किसी नियम की अपेक्षाओं से अभिमुक्ति देना या उसे शिथिल करने के पूर्व आयोग से परामर्श से किया जायगा।

19. व्यावृत्ति

इस नियमावली की किसी बात का कोई प्रभाव ऐसे आरक्षण और अन्य रियायतों पर नहीं पड़ेगा जिनका इस सम्बन्ध में सरकार द्वारा समय-समय पर जारी किये गये आदेशों के अनुसार अनुसूचित जातियों, अनुसुचित जन जातियों और व्यक्तियों की अन्य विशेष श्रेणियों के अभ्यर्थियों के लिए उपबन्ध करना अपेक्षित हो।