(नोट:- समेकित नियमावली में संशोधनों का समावेश करने में पूर्ण सावधानी बरती गयी है तथापि सन्दर्भ हेतु सरकारी गजट का ही प्रयोग किया जाये)
समुद्रपार विदेशी मदिरा का उत्तर प्रदेश में आयात नियमावली, 2003 (द्वितीय संशोधन-2013 तक संशोधित)
1. संक्षिप्त नाम और प्रारम्भ
(1) यह नियमावली समुद्रपार विदेशी मदिरा का उत्तर प्रदेश में आयात नियमावली, 2003 कही जायेगी।
(2) यह तुरन्त प्रवृत्त होगी।
2. परिभाषाएँ
जब तक सन्दर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, इस नियमावली में,-
(क) “अधिनियम” का तात्पर्य समय-समय पर यथा संशोधित संयुक्त प्रान्त आबकारी अधिनियम, 1910 से है;
(ख) “आबकारी वर्ष” का तात्पर्य 01 अप्रैल से प्रारम्भ होने वाले और 31 मार्च को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष से है;
(ग) “प्रपत्र” का तात्पर्य इस नियमावली के साथ संलग्न प्रपत्र से है;
(घ) “समुद्रपार विदेशी मदिरा” का तात्पर्य समुद्रपार के देशों से भारत में आयातित विदेशी मदिरा से है, जो इण्डियन टैरिफ एक्ट, 1894 या सी कस्टम एक्ट, 1875 के अधीन अपने आयात पर शुल्क संदत्त कर दिये हों, किन्तु इसके अन्तर्गत विकृत स्प्रिट सम्मिलित नहीं है।
(ङ) “अनुज्ञप्त विक्रेता” का तात्पर्य विदेशी मदिरा के थोक विक्रेता या फुटकर विक्रेता के लाइसेंस धारक से है।
3. मदिरा का आयात
समुद्रपार विदेशी मदिरा का उत्तर प्रदेश में आयात या तो सीधे समुद्रपार के देशों से या किसी राज्य से या भारत के संघ राज्य क्षेत्र से अनुज्ञप्त विक्रेता द्वारा नियमों के अनुसार किया जा सकता है।
4. आयात के परमिट के लिए आवेदन
कोई अनुज्ञप्ति विक्रेता जो थोक विक्रय या फुटकर विक्रय के लिये समुद्रपार विदेशी मदिरा के उत्तर प्रदेश में आयात करने का इच्छुक हो, उस स्थान के कलेक्टर या जिला आबकारी अधिकारी को, जहां मदिरा का आयात किया जाना है, स्वयं या अपने प्राधिकृत अभिकर्ता के माध्यम से प्रारुप एफ0एल0-33 में आयात परमिट के लिए आवेदन प्रस्तुतं करेगा। आवेदन के साथ समय-समय पर राज्य सरकार द्वारा यथा नियत परमिट फीस जमा करने के सबूत के लिए कोषागार चालान संलग्न किया जायेगा। आयात की जाने वाली मदिरा की किसी भी बोतल की अधिकतम धारिता उत्तर प्रदेश में फुटकर बिक्री की अधिकतम परिणाम की सीमा के अन्तर्गत होगी।
5. आयात परमिट का जारी किया जाना
जहां मदिरा का आयात किया जाना है और उस स्थान का कलेक्टर या जिला आबकारी अधिकारी आवेदन प्राप्त करेगा और परमिट फीस के जमा होने के सत्यापन के पश्चात जब तक उसे इसके विपरीत कोई कारण दर्शित न हो, मदिरा को आयात करने के लिए परमिट जारी करेगा। परमिट प्रारुप एफ0एल0-34 में तीन प्रतियों में होगी। एक प्रति आवेदक को दी जायेगी, जो आयात के स्थान से मदिरा के आयात को आच्छादित करेगी। दूसरी प्रति निर्यात के जिले के कलेक्टर या ऐसे अन्य अधिकारी को भेजी जायेगी जिसे इस निमित्त प्राधिकृत किया गया हो और तीसरी प्रति परमिट जारी करने वाले प्राधिकारी द्वारा अपने अभिलेख में रखने और परेषण के पहुँचने पर सत्यापन के लिए रखा जायेगा।
आयात की जाने वाली मदिरा की किसी भी बोतल की अधिकतम धारिता उत्तर प्रदेश में फुटकर बिक्री की अधिकतम परिमाण की सीमा के अन्तर्गत होगी।
जिला आबकारी अधिकारी द्वारा परमिटों का एक रजिस्टर प्रारुप एफ0एल0 35 में अनुरक्षित किया जायेगा और उसमें प्रत्येक जारी किये गये परमिट के विवरण की प्रविष्टि तत्काल परेषण के सत्यापन के परिणाम के साथ की जायेगी।
6. परेषण का सत्यापन
परेषण की प्राप्ति पर आवेदक, इस स्थान के जिला आबकारी अधिकारी या आबकारी निरीक्षक को, जहां मदिरा का आयात किया गया है, उसके आगमन को तुरन्त सूचित करेगा और उसको परेषण की जाँच करने और उसकी अन्तर्वस्तु का परीक्षण करने या यदि आवश्यक हो जाय उसका नमूना लेने की अनुमति देगा:
प्रतिबन्ध यह है कि यदि परेषण का सत्यापन उसके आगमन की सूचना के 48 घंटे के भीतर, जिला आबकारी अधिकारी या आबकारी निरीक्षक द्वारा नहीं किया जाता है तो आयातकर्ता को परेषण को खोल सकने का विकल्प होगा।
7. सुरक्षा होलोग्राम का लागू किया जाना
(1) समुद्रपार विदेशी मदिरा के परेषण की प्राप्ति के पश्चात् आयातकर्ता जिला आबकारी अधिकारी के माध्यम से आबकारी आयुक्त, उ0प्र0 के कार्यालय में सुरक्षा होलोग्राम के लिये मांग-पत्र प्रस्तुत करेगा। समुद्रपार विदेशी मदिरा की कोई भी बोतल बिना सुरक्षा होलोग्राम लगाये न तो कब्जे में रखी जायेगी और न ही जनता को इसका विकय किया जायेगा।
(2) अन्य देशो से आयातित विदेशी मदिरा, बीयर और वाइन की बोतलों पर निम्नानुसार स्टिकर चस्पा किया जायेगा:-
(क) आयातित मदिरा की बोतलों पर न्यूनतम 70 मिलीमीटर × 35 मिलीमीटर के आकार का सफेद रंग का स्टिकर चस्पा किया जायेगा।
(ख) उक्त स्टिकर पर सामान्य स्वस्थ आंखों से पठनीय काले रंग के अक्षरों में, अधिकतम फुटकर विकय-मूल्य (एम0आर0पी0), “मदिरा का सेवन स्वास्थ्य के लिये हानिकर है” तथा आयातक और वितरक का नाम व पूर्ण पता अंकित किया जायेगा।
(ग) उक्त स्टिकर पर लाल रंग से न्यूनतम 3 मिलीमीटर आकार के अक्षरों में ‘‘केवल उत्तर प्रदेश में विकय के लिये” विकर्णवत अंकित किया जायेगा।
8. परमिट फीस का प्रतिदाय
यदि आयातकर्ता परमिट का उपयोग समुद्र पार विदेशी मदिरा का आयात करने के लिये नहीं करता है तो वह परमिट के दिनांक से तीन माह के भीतर परमिट को कलेक्टर या जिला आबकारी अधिकारी को वापस कर सकता है और कलक्टर या जिला आबकारी अधिकारी से परमिट फीस का प्रतिदाय के लिये आवेदन कर सकता है। कलक्टर या जिला आबकारी अधिकारी, आयातकर्ता द्वारा जमा की गई परमिट फीस के प्रतिदाय की अनुज्ञा दे सकता है, परन्तु आवश्यक जांच के पश्चात् उसके सन्तुष्ट होने पर कि परमिट के अधीन, कोई कारोबार नहीं किया गया है और कोई परेषण प्राप्त नहीं किया गया है।
9. कतिपय मामलों में नियमावली का लागू न होना
यह नियमावली आबकारी आयुक्त की पूर्व अनुमति से, सरकारी विभाग और धर्मार्थ संस्थानों की ओर से समुद्रपार विदेशी मदिरा के आयात के मामले में लागू नहीं होगी।
10. विखण्डन एवं अपवाद
(1) उत्तर प्रदेश में अनुसूचित क्षेत्रों में, समुद्रपार की विदेशी मदिरा के आयात की नियमावली, 1938 एतद्द्वारा विखण्डित की जाती है।
(2) ऐसे विखण्डन के होते हुए भी, उप नियम (1) में निर्दिष्ट नियमावली के उपबन्धों के अधीन, समुद्रपार विदेशी मदिरा का आयात 31 मार्च, 2003 तक विधिमान्य होगा।