Table of Contents

(नोट :- समेकित नियमावली में संशोधनों का समावेश करने में पूर्ण सावधानी बरती गयी है तथापि सन्दर्भ हेतु सरकारी गजट का ही प्रयोग किया जाये)

उत्तर प्रदेश अधीनस्थ आबकारी सेवा नियमावली, 1992[1]

भाग-एक-सामान्य

नियम 1–संक्षिप्त नाम और प्रारम्भ

(1) यह नियमावली उत्तर प्रदेश अधीनस्थ आबकारी सेवा नियमावली, 1992 कही जायगी।

(2) यह नियमावली तुरन्त प्रवृत्त होगी।

नियम 2–सेवा की प्रास्थिति

उत्तर प्रदेश अधीनस्थ आबकारी सेवा एक अधीनस्थ अराजपत्रित सेवा है जिसमें समूह ‘ख’ तथा समूह ‘ग’ के पद समाविष्ट हैं।

नियम 3–परिभाषाएं

जब तक कि विषय या सन्दर्भ में कोई प्रतिकूल बात न हो, इस नियमावली में-

(क) “नियुक्ति प्राधिकारी” का तात्पर्य आबकारी आयुक्त, उत्तर प्रदेश से है,

(ख) “भारत का नागरिक” का तात्पर्य ऐसे व्यक्ति है, जो संविधान के भाग-दो के अधीन भारत का नागरिक है या समझा जाय,

(ग) “आयोग” का तात्पर्य उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग से है,

(घ) “संविधान” का तात्पर्य “भारत का संविधान” से है,

(ङ) “सरकार” का तात्पर्य उत्तर प्रदेश की राज्य सरकार से है,

(च) “राज्यपाल” का तात्पर्य उत्तर प्रदेश के राज्यपाल से है,

(छ) “सेवा का सदस्य” का तात्पर्य सेवा के संवर्ग में किसी पद पर इस नियमावली या इस नियमावली के प्रारम्भ होने के पूर्व प्रवृत्त नियमों या आदेशों के अधीन मौलिक रूप से नियुक्त व्यक्ति से है, और इसमें सरकारी आदेश संख्या 6007-ई/तेरह-64-60, दिनांक 21 नवम्बर, 1960 के अन्तर्गत आने वाला व्यक्ति सम्मिलित है,

(ज) “सचिव” का तात्पर्य सचिव, उत्तर प्रदेश सरकार, आबकारी विभाग से है,

(झ) “सेवा” का तात्पर्य उत्तर प्रदेश अधीनस्थ आबकारी सेवा से है,

(ञ) “मौलिक नियुक्ति” का तात्पर्य सेवा के संवर्ग में किसी पद पर ऐसी नियुक्ति से है जो तदर्थ नियुक्तियां न हो और नियमों के अनुसार चयन के पश्चात् की गयी हो और यदि कोई नियम न हो तो, सरकार द्वारा जारी किये गये कार्यपालक, अनुदेशों द्वारा तत्समय विहित प्रक्रिया के अनुसार की गयी हो,

[2](ट) [***]

(ठ) “भर्ती का वर्ष” का तात्पर्य किसी कैलेन्डर वर्ष की पहली जुलाई से प्रारम्भ होने वाली बारह मास की अवधि से है।

भाग-दो-संवर्ग

नियम 4–सेवा का संवर्ग

(1) सेवा की सदस्य संख्या और उसमें प्रत्येक श्रेणी के पदों की संख्या उतनी होगी जितनी सरकार द्वारा समय-समय पर अवधारित की जाय।

(2) जब तक कि उप-नियम (1) के अधीन परिवर्तन के आदेश न दिये जायं, सेवा की सदस्य संख्या और उसमें प्रत्येक श्रेणी के पदों की संख्या परिशिष्ट “क” के अनुसार होगी। परन्तु यह कि-

(एक) नियुक्ति अधिकारी किसी रिक्त पद को बिना भरे हुए छोड़ सकता है या राज्यपाल उसे आस्थगित रख सकते हैं, जिससे कोई व्यक्ति प्रतिकर का हकदार न होगा,

(दो) राज्यपाल ऐसे अतिरिक्त स्थायी या अस्थायी पदों का सृजन कर सकते हैं, जिन्हें वह उचित समझे।

भाग-तीन-भर्ती

[3]नियम 5–भर्ती का स्रोत

सेवा में विभिन्न श्रेणियों के पदों पर भर्ती निम्‍नलिखित स्रोतों से की जायेगी-

(1) आबकारी निरीक्षक-

(एक) अस्सी प्रतिशत आयोग के माध्यम से सीधी भतीं द्वारा,

(दो) दस प्रतिशत मौलिक रूप से नियुक्त ऐसे उप आबकारी निरीक्षकों में से जिन्होंने भर्ती के वर्ष के प्रथम दिवस को इस रूप में चार वर्ष की सेवा पूरी कर ली हो, आयोग के माध्यम से पदोन्नति द्वारा और

(तीन) दस प्रतिशत ऐसे व्यक्तियों में से, जो भर्ती के वर्ष के प्रथम दिवस को मौलिक रूप से नियुक्त प्रशासनिक अधिकारी एवं वैयक्तिक सहायक ग्रेड-1 हों, आयोग के माध्यम से पदोन्नति द्वारा

परन्तु यह कि भर्ती के किसी वर्ष में यदि पदोन्नति के लिये पर्याप्त संख्या में उपयुक्त पात्र व्यक्ति उपलब्ध न हों, तो पात्रता के क्षेत्र में निम्‍नलिखित व्यक्तियों को नीचे दिये गये क्रम में सम्मिलित करने के लिये विस्तार किया जा सकता है-

(क) मौलिक रूप से नियुक्त प्रधान सहायकों और वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2 में से, जिन्होंने इस रूप में भर्ती के वर्ष के प्रथम दिवस को दो वर्ष की सेवा पूर्ण कर ली हो अथवा प्रधान सहायकों की स्थिति में जिन्होंने प्रधान सहायक, वरिष्ठ सहायक तथा कनिष्ठ सहायक के रूप में की गयी सेवा सहित कुल 18 वर्ष की सेवा पूरी कर ली हो, और वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2 की स्थिति में जिन्‍होने वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2 तथा आशुलिपिक के रूप में की गयी सेवा सहित कुल 15 वर्ष की सेवा पूरी कर ली हो।

(ख) मौलिक रूप से नियुक्त ऐसे वरिष्ठ सहायकों में से जिन्होंने इस रूप में 13 वर्ष की सेवा, भर्ती के वर्ष के प्रथम दिवस को पूरी कर ली हो अथवा वरिष्ठ सहायक और कनिष्ठ सहायक के रूप में की गयी सेवा सहित कुल 20 वर्ष की सेवा पूरी कर ली हो।

(ग) मौलिक रूप से नियुक्त, ऐसे कनिष्ठ सहायकों और आशुलिपिको में से जिन्होंने क्रमश: इस रूप में भर्ती के वर्ष के प्रथम दिवस को 25 वर्ष तथा 22 वर्ष की सेवा पूरी कर ली हो।

टिप्पणी- उप नियम (1) के खण्ड (तीन) के अधीन पदोन्नति कोटा के अधीन 90 प्रतिशत पद यथास्थिति, प्रशासनिक अधिकारी, प्रधान सहायक, वरिष्ठ सहायक एवं कनिष्ठ सहायकों में से पदोन्नति द्वारा भरे जायेंगे और दस प्रतिशत पद यथास्थिति वैयक्तिक सहायक ग्रेड-1, वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2, एवं आशुलिपिकों में से पदोन्नति द्वारा भरे जायेंगे।

(2) उप आबकारी निरीक्षक-

मौलिक रूप से नियुक्त प्रधान आबकारी सिपाहियों तथा ताड़ी पर्यवेक्षकों में से, जिन्होंने माध्यमिक शिक्षा परिषद, उत्तर प्रदेश की हाईस्कूल परीक्षा अथवा सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त उसके समकक्ष कोई परीक्षा उत्तीर्ण कर ली हो और भर्ती के वर्ष के प्रथम दिवस को इस रूप में दस वर्ष की सेवा पूरी कर ली हो, चयन समिति के माध्यम से पदोन्नति द्वारा।

नियम 6–आरक्षण

अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य श्रेणियों के अभ्यर्थियों के लिये आरक्षण भर्ती के समय प्रवृत्त सरकारी आदेशों के अनुसार किया जायेगा।

                       भाग-चार- अर्हताएँ  

नियम 7–राष्ट्रिकता 

सेवा में किसी पद पर सीधी भर्ती के लिये यह आवश्यक है कि अभ्यर्थी-

(क) भारत का नागरिक हो, या

(ख) तिब्बती शरणार्थी हो, जो भारत में स्थायी निवास के अभिप्राय से पहली जनवरी, 1962 के पूर्व भारत आया हो, या

(ग) भारतीय उदभव का ऐसा व्यक्ति हो, जिसने भारत में स्थायी निवास के अभिप्राय से पाकिस्तान, वर्मा, श्रीलंका या किसी पूर्वी अफ्रीकी देश केन्या, उगान्डा और यूनाइटेड रिपब्लिक आफ तन्जानिया (पूर्ववर्ती तांगानिका और निकोबार) से प्रव्रजन किया हो;

परन्तु उपर्युक्त श्रेणी (ख) या (ग) के अभ्यर्थी को ऐसा व्यक्ति होना चाहिये जिसके पक्ष में राज्य सरकार द्वारा पात्रता का प्रमाण-पत्र जारी किया गया हो;

परन्तु यह और कि श्रेणी (ख) के अभ्यर्थी से यह अपेक्षा की जायेगी कि वह पुलिस उपमहानिरीक्षक, अभिसूचना शाखा, उत्तर प्रदेश से पात्रता का प्रमाण-पत्र प्राप्त कर ले:

परन्तु यह भी कि यदि कोई अभ्यर्थी उपर्युक्त श्रेणी (ग) का हो तो पात्रता का प्रमाण-पत्र एक वर्ष से अधिक अवधि के लिये जारी नहीं किया जायगा और ऐसे अभ्यर्थी को एक वर्ष की अवधि के आगे सेवा में इस शर्त पर रहने दिया जायगा कि वह भारत की नागरिकता प्राप्त कर ले।

टिप्पणी-ऐसे अभ्यर्थी को, जिसके मामले में पात्रता का प्रमाण-पत्र आवश्यक है, किन्तु न तो वह जारी किया गया हो और न देने से इन्कार किया गया है, किसी परीक्षा या साक्षात्कार में सम्मिलित किया जा सकता है और उसे इस शर्त पर अनन्तिम रूप से नियुक्त भी किया जा सकता है किन्तु आवश्यक प्रमाण-पत्र उसके द्वारा प्राप्त कर लिया जाय या उसके पक्ष में जारी कर दिया जाय।

[4] नियम 8–शैक्षिक अर्हता

सेवा में आबकारी निरीक्षक क पद पर सीधी भर्ती के लिये किसी अभ्यर्थी हेतु यह आवश्यक्त है कि वह भारत में विधि द्वारा स्थापित किसी विश्वविद्यालय की स्नातक उपाधि या सरकार द्वारा उसके समकक्ष मान्यता प्राप्त उपाधि अवश्य रखता हो।

नियम 9–अधिमानी अर्हता

ऐसे अभ्यर्थी को जिसने –

(एक) प्रादेशिक सेना में दो वर्ष की न्यूनतम अवधि तक सेवा की हो, या

(दो) राष्ट्रीय कोर का “बी” प्रमाण-पत्र प्राप्त किया हो,

अन्य बातों के समान होने पर सीधी भर्ती के मामले में अधिमान दिया जायेगा।

[5] नियम 10–आयु

सीधी भर्ती के लिये यह आवश्यक है कि अभ्यर्थी ने उस कैलेन्डर वर्ष की, जिसमें सीधी भर्ती के लिये आयोग द्वारा रिक्तियाँ विज्ञापित की जाय, पहली जुलाई को 21 वर्ष की आयु प्राप्त कर ली हो और 40 वर्ष से अधिक आयु प्राप्त न की हो

परन्तु अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जन जातियों और ऐसी अन्य श्रेणियों के, जो सरकार द्वारा समय-समय पर अधिसूचित की जाये, अभ्यर्थियों की दशा में उच्चतर आयु सीमा उतने वर्ष अधिक होगी जितनी विर्निर्दिष्ट की जाय।

नियम 11–चरित्र

सेवा में किसी पद पर सीधी भर्ती के लिये अभ्यर्थी का चरित्र ऐसा होना चाहिये कि वह सरकारी सेवा में सेवायोजन के लिये सभी प्रकार से उपयुक्त हो सके। नियुक्ति प्राधिकारी इस संबंध में अपना समाधान कर लेगा।

टिप्पणी-संघ सरकार या किसी राज्य सरकार या किसी स्थानीय प्राधिकारी द्वारा या संघ सरकार या किसी राज्य सरकार के स्वामित्वाधीन या नियंत्रणाधीन किसी निगम या निकाय द्वारा पदच्युत व्यक्ति सेवा में किसी पद पर नियुक्ति के लिये पात्र नहीं होंगे। नैतिक अधमता के किसी अपराध के लिये दोष सिद्ध व्यक्ति भी पात्र नहीं होंगे।

नियम 12–वैवाहिक प्रास्थिति

सेवा में किसी पद पर नियुक्ति के लिये ऐसा पुरुष अभ्यर्थी पात्र न होगा, जिसकी एक से अधिक पत्नियां जीवित हों या ऐसी महिला अभ्यर्थी पात्र न होगी जिसने ऐसे पुरुष से विवाह किया हो, जिसकी पहले से एक पत्नी जीवित हो;

परन्तु सरकार किसी व्यक्ति की इस नियम के प्रवर्तन से छूट दे सकती है, यदि उसका समाधान हो जाय कि ऐसा करने के लिये विशेष कारण विद्यमान है।

[6] नियम 13–शारीरिक स्वस्थता

(1) किसी अभ्यर्थी को सेवा में किसी पद पर तब तक नियुक्त नहीं किया जायेगा जब तक कि मानसिक और शारीरिक दृष्टि से उसका स्वास्थ्य अच्छा न हो और वह किसी ऐसे शारीरिक दोष से युक्त न हो जिससे उसे अपने कर्तव्यों का दक्षतापूर्वक पालन करने में बाधा पड़ने की सम्भावना हो। किसी अभ्धर्थी को सीधी भर्ती द्वारा नियुक्ति के लिये अन्तिम रूप से अनुमोदित किये जाने के पूर्व उससे यह अपेक्षा की जायेगी, कि वह फाइनेन्शियत हैन्डबुक, खण्ड-दो, भाग-तीन के अध्याय-तीन में दिये गये फन्डामेन्टल रूल-10 के अधीन बनाये गये नियमों के अनुसार एक स्वस्थता प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करे;

परन्तु यह कि पदोन्नति द्वारा भर्ती किये अभ्यर्थी से स्वस्थता प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करने की अपेक्षा नहीं की जायेगी।

(2) किसी भी ऐसे पुरूष व्‍यक्ति की सेवा में सीधी भर्ती नहीं की जायेगी :-

(एक) जिसके सीने की माप बिना फुलाये 80.0 सेन्टीमीटर और फुलाने पर 85.0 सेन्टीमीटर से कम हो।

(दो) जिसकी ऊँचाई 167 सेन्टीमीटर से कम हो;

परन्तु यह कि सीधी भर्ती किये जाने हेतु महिला अभ्यर्थियों की दशा में शारीरिक माप वहीं होगी, जो परिशिष्ट ‘ख’ में दी गई हैं।

(3) किसी भी ऐसे पुरूष व्यक्ति की पदोन्नति द्वारा भर्ती नहीं की जायेगी, जिसकी ऊँचाई 162 सेंटीमीटर से कम हो

भाग-पांच-भर्ती की प्रक्रिया

[7] नियम 14– रिक्तियों का अवधारण

नियुक्ति प्राधिकारी भर्ती के वर्ष के दौरान भरी जाने वाली रिक्तियों की संख्या और नियम-6 के अधीन अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जन जातियों और अन्य श्रेणियों के अभ्यर्थियों के लिये आरक्षित की जाने वाली रिक्तियों की संख्या भी अवधारित करेगा। आयोग के माध्यम से भरी जाने वाली रिक्तियाँ उन्हें सूचित की जाएंगी।

[8] नियम 15–आयोग के माध्यम से सीधी भर्ती की प्रक्रिया

15 (1) प्रतियोगिता परीक्षा में सम्मिलित होने की अनुमति के लिये आवेदन पत्र आयोग द्वारा जारी किये गये विज्ञापन में प्रकाशित प्रारूप में आमंत्रित किये जायेंगे।

(2) किसी भी अभ्यर्थी को परीक्षा में सम्मिलित होने की अनुमति तब तक नहीं दी जायेगी जब तक कि उसके पास आयोग द्वारा जारी किया गया प्रवेश-प्रमाणपत्र न हो।

(3) आयोग लिखित परीक्षा का परिणाम प्राप्त होने और सारणीबद्ध कर लिये जाने के पश्चात् नियम-6 के अधीन अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य श्रेणियों के अभ्यर्थियों का सम्यक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए उतनी संख्या में अभ्यर्थियों का साक्षात्कार के लिये बुलाएगा जितने इस संबंध में लिखित परीक्षा के परिणाम के आधार पर आयोग द्वारा निर्धारित मानक तक पहुंच सके हों। साक्षात्‍कार में प्रत्येक अभ्यर्थी को दिये गये अंकों को लिखित परीक्षा में उसके द्वारा प्राप्त किये गये अंकों में जोड़ दिया जायेगा।

(4) आयोग अभ्यर्थियों की प्रवीणता के क्रम में, जैसा कि लिखित परीक्षा और साक्षात्कार में प्रत्येक अभ्यर्थी द्वारा प्राप्त किये गये अकों के कुल योग से प्रकट हो, एक सूची तैयार करेगा और उतनी संख्या में अभ्यर्थियों की संस्तुति करेगा जितनी वह नियुक्ति के लिये उचित समझे। यदि दो या अधिक अभ्यर्थी बराबर-बराबर कुल अंक प्राप्त करें तो लिखित परीक्षा में अपेक्षाकृत अधिक अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थी का नाम सूची में उच्चतर स्थान पर रखा जायेगा। यदि दो या अधिक अभ्यर्थी लिखित परीक्षा मे भी समान अंक प्राप्त करें, तो आयु में ज्येष्ठ अभ्यर्थी का नाम सूची में उच्चतर स्थान पर रखा जायेगा। आयोग सूची नियुक्ति प्राधिकारी को अग्रसारित करेगा।

[9] नियम 15-क–आबकारी निरीक्षक पद पर आयोग के माध्‍यम से पदोन्‍नति द्वारा भर्ती की प्रक्रिया

सेवा में आबकारी निरीक्षक के पद पर पदोन्‍नति द्वारा भर्ती समय-समय पर यथासंशोधित उत्‍तर प्रदेश लोक सेवा आयोग सपरामर्श चयनोन्‍नति (प्रक्रिया) नियमावली, 1970 के अनुसार अनुपयुक्‍त को अस्‍वीकार करते हुए ज्‍येष्‍ठता के आधार पर की जायेगी।

[10] नियम 16–चयन समिति के माध्यम से उप आबकारी निरीक्षक पद पर पदोन्नति द्वारा भर्ती की प्रक्रिया 

(1) सेवा में उप आबकारी निरीक्षक के पद पर पदोन्नति द्वारा भर्ती समय-समय पर यथासंशोधित उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक (पदोन्नति द्वारा भर्ती के लिये मानदण्ड), नियमावली, 1994 में अधिकथित मानदण्ड के अनुसार चयन समिति के माध्यम से की जायेगी, जिसमें निम्‍नलिखित होंगे-

(एक) आबकारी आयुक्त, उत्तर प्रदेश-अध्यक्ष

(दो) अपर आबकारी आयुक्त (प्रशासन) उत्तर प्रदेश-सदस्य

(तीन) उप आबकारी आयुक्त (कार्मिक एवं अधिष्ठान)- सदस्य

टिप्पणी- चयन समिति में अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों और नागरिकों के अन्य पिछड़े वर्गों के अधिकारियों को प्रतिनिधित्व देने के लिये नाम निर्देशन समय-समय पर यथासंशोधित उत्तर प्रदेश लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिये आरक्षण) अधिनियम, 1994 की धारा-7 के अधीन किए गए आदेशों के अनुसार किया जायेगा।

(2) नियुक्ति प्राधिकारी, समय-समय पर यथासंशोधित उत्तर प्रदेश (लोक सेवा आयोग के क्षेत्र के बाहर के पदों पर) चयनोन्नति पात्रता सूची नियमावली, 1986 के अनुसार अभ्यर्थियो की एक पात्रता सूची तैयार करंगा और उसे उसकी चरित्र पंजियो और उनसे सम्बन्धित ऐसे अन्य अभिलेखो के साथ, जो उचित समझे जायें चयन समिति के समक्ष रखेगा:

परन्तु यह कि जहाँ दो अथवा उससे अधिक पोषक संवर्ग हों, तो –

(क) भिन्न-भिन्न वेतनमान धारित करने वालों में से उच्चतर वेतनमान धारित करने वाले संवर्ग से सम्बन्धित अभ्यर्थियों को पात्रता सूची में उच्चतर स्थान पर रखा जायेगा।

(ख) समान वेतनमान धारित करने वालों में से अभ्यर्थियों के नाम पात्रता सूची में उनके सम्बन्धित संवर्ग मे मौलिक नियुक्ति के दिनांक के क्रम में व्यवस्थित किये जायेंगे, लेकिन यदि दो या उससे अधिक अभ्यर्थियों की मौलिक नियुक्ति का दिनांक समान हो तो ऐसी स्थिति में आयु में अपेक्षाकृत अधिक अभ्यर्थी को पात्रता सूची में उच्चतर स्थान पर रखा जायेगा।

(3) चयन समिति उप-नियम (2) में निर्दिष्ट अभिलेखों के आधार पर अभ्यर्थियों के मामलों पर विचार करेगी और यदि वह आवश्यक समझे तो अभ्यर्थियों का साक्षात्कार भी कर सकती है।

(4) चयन समिति, चयनित किये गये अभ्यर्थियों की ज्येष्ठता क्रम में जैसी उस संवर्ग में हों, जिससे उनकी पदोन्नति की जानी है, एक सूची तैयार करेगी और नियुक्ति प्राधिकारी को अग्रसारित करेगी।

नियम 17–संयुक्त चयन सूची

यदि भर्ती के किसी वर्ष में नियुक्तियाँ सीधी भर्ती और पदोन्नति दोनों प्रकार से की जानी हो तो एक संयुक्त चयन सूची तैयार की जायेगी, जिसमें अभ्यर्थियों के नाम सुसंगत सूचियों से ऐसे चक्रानुक्रम में लिये जायेंगे कि विहित प्रतिशत बना रहे, सूची में पहला नाम नियम 16 के अधीन पदोन्नति द्वारा नियुक्त व्यक्ति का होगा।

टिप्पणी- (एक) चयन सूची तैयार करने के प्रयोजन के लिए आबकारी निरीक्षक के पद के लिए पदोन्नत किये जाने वाले व्यक्तियों के नाम लिपिकों या आशुलिपिकों और उप आबकारी निरीक्षकों के नाम इस क्रम में लेते हुए रखे जायेंगे कि पहला नाम लिपिक का हो या यदि उस सूची में किसी लिपिक का चयन न किया गया हो तो यथास्थिति आशुलिपिक का नाम हो सकता है।

(दो) चयन सूची तैयार करने के प्रयोजन के लिए उप-आबकारी निरीक्षक के पद के लिए पदोन्नत किये जाने वाली रिक्तियों के नाम ताड़ी पर्यवेक्षक और हेड कान्स्टेबिल, कान्सटेबिल के नामों को इस क्रम में लेते हुये रखा जायेगा कि पहला नाम ताड़ी पर्यवेक्षक का हो।

भाग छः – नियुक्ति, परिवीक्षा, स्थायीकरण और ज्येष्ठता

नियम 18–नियुक्ति

[11](1) उप-नियम (2) के उपबन्धों के अधीन रहते हुये नियुक्ति प्राधिकारी अभ्यर्थियों की नियुक्त्तियॉ उसी क्रम में करेगा, जिसमें उनके नाम यथास्थिति, नियम-15, 15-क, 16 या 17 के अधीन तैयार की गयी सूचियों में आये हों।

(2) जहाँ भर्ती के किसी वर्ष में नियुक्तियाँ सीधी भर्ती और पदोन्‍नति दोनो प्रकार से की जानी हों, वहां नियमित नियुक्तियां तब तक नहीं की जायेंगी जब तक कि दोनों स्रोतों से चयन न कर लिया जाय और नियम 17 के अनुसार एक संयुक्त सूची तैयार न कर ली जाय।

(3) यदि किसी एक चयन के सम्बन्ध में नियुक्ति के एक से अधिक आदेश जारी किये जायें तो एक संयुक्त आदेश भी जारी किया जायेगा जिसमें व्यक्तियों के नामों का उल्लेख यथास्थिति, चयन में यथा अवधारित या उस संवर्ग में, जिससे उन्हें पदोन्नत किया जाय, विद्यमान ज्येष्ठता क्रम में किया जायेगा। यदि नियुक्तियाँ सीधी भर्ती और पदोन्नति दोनों प्रकार से की जाये तो नाम नियम 17 में निर्दिष्ट चक्रानुक्रम के अनुसार रखें जायेंगे।

(4) उप-नियम (1), (2) या (3) में किसी बात के होते हुए भी सरकारी आदेश संख्या 6007-ई, तेरह–64-60, दिनांक 21 नवम्बर, 1960 के अन्तर्गत आने वाला व्यक्ति 21 नवम्बर, 1960 से तत्समय प्रवृत्त नियमों के अनुसार सेवा में सम्यक् रूप से नियुक्त समझा जायेगा।

[12]नियम 19–परिवीक्षा

(1) सेवा में किसी पद पर मौलिक रूप से नियुक्त किये जाने पर प्रत्येक व्यक्ति को उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक परिवीक्षा नियमावली, 2013 के अनुसार परिवीक्षा पर रखा जायेगा।

(2) यदि परिवीक्षा अवधि या बढ़ायी गई परिवीक्षा अवधि के दौरान किसी भी समय या उसके अन्त में नियुक्ति प्राधिकारी को यह प्रतीत हो कि परिवीक्षाधीन व्यक्ति ने अपने अवसरों का पर्याप्त उपयोग नहीं किया है या संतोष प्रदान करने में अन्यथा विफल रहा है, तो उसे उसके मौलिक पद पर यदि कोई हो, प्रत्यावर्तित किया जा सकता हैं और यदि उसका किसी पद पर धारणाधिकार न हो, तो उसकी सेवायें समाप्त की जा सकती हैं।

(3) ऐसा परिवीक्षाधीन व्यक्ति, जिसे उप-नियम (2) के अधीन प्रत्यावर्तित किया जाय या जिसकी सेवायें समाप्त की जायें, किसी प्रतिकर का हकदार नहीं होगा।

(4) नियुक्ति प्राधिकारी, संवर्ग में सम्मिलित किसी पद पर या किसी अन्य समकक्ष या उच्च पद पर स्थानापन्न या अस्थायी रूप से की गई निरंतर सेवा को परिवीक्षा अवधि की संगणना करने के प्रयोजनार्थ गिने जाने की अनुमति दे सकता है।

नियम 20–स्थायीकरण

किसी परिवीक्षाधीन व्यक्ति की परिवीक्षा अवधि या बढ़ायी गयी परिवीक्षा अवधि के अन्त में उसकी नियुक्ति में स्थायी कर दिया जायेगा, यदि

(क) उसका कार्य और आचरण संतोषजनक बताया जाय;

(ख) उसकी सत्यनिष्ठा प्रमाणित कर दी जाय और

(ग) नियुक्ति प्राधिकारी का यह समाधान हो जाये कि वह स्थायीकरण के लिए अन्यथा उपयुक्त है।

नियम 21–ज्येष्ठता

(1) किसी श्रेणी के पदों पर मौलिक रूप से नियुक्त व्यक्तियों की ज्येष्ठता समय समय पर यथासम्बन्धित उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक ज्येष्ठता नियमावली, 1999 के अनुसार अवधारित की जायेगी।

(2) उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक ज्येष्ठता नियमावली, 1991 में किसी बात के होते हुए भी सरकारी आदेश संख्या 6007-ई/तेरह-64-60, दिनांक 21 नवम्बर, 1960 के अन्तर्गत आने वाले व्यक्तियों की ज्येष्ठता के लिए 21 नवम्बर, 1960 के पूर्व आयोग द्वारा नियुक्ति के लिए अनुमोदित आबकारी निरीक्षकों के ठीक नीचे रखा जायेगा और उक्त सरकारी आदेश में निर्दिष्ट ऐसे व्यक्तियों की परस्पर ज्येष्ठता सेवा भी उनकी निरन्तरता की अवधि के आधार पर अवधारित की जायेगी और जहाँ ऐसे दो या अधिक व्यक्तियों की सेवा की अवधि समान हो वहां अधिक आयु वाला व्यक्ति ज्येष्ठ होगा।

भाग-सात-वेतन इत्यादि

[13] नियम 22–वेतनमान

(1) सेवा में विभिन्न श्रेणियों के पदो पर नियुक्त व्यक्तियों का अनुमन्य वेतनमान वही हांगा. जो समय-समय पर सरकार द्वारा अवधारित किया जाय।

(2) उत्तर प्रदेश अधीनस्थ आबकारी सेवा (प्रथम संशोधन) नियमावली, 2015 के प्रारम्भ होने के समय के वेतनमान नीचे दिये गये हैं-

पद का नाम

वेतनमान

वेतन बैण्‍ड का नाम तत्‍सदृश वेतन बैण्‍ड (रू.) तत्‍सदृश ग्रेड वेतन (रू.)
1-आबकारी निरीक्षक वेतन बैण्‍ड-2 9300-34800 4600/-
2-उप आबकारी निरीक्षक वेतन बैण्‍ड-1 5200-20200 2400/-

नोट (लेखक द्वारा)–7वें वेतन आयोग के अनुसार आबकारी निरीक्षक और उप आबकारी निरीक्षक के वेतनमान नीचे दिये गये हैं-

पद का नाम

7वें वेतन आयोग के अनुसार

सादृश्‍य वेतन बैण्‍ड/वेतनमान का नाम (रू.) सादृश्‍य मैट्रिक्स लेबिल 
1-आबकारी निरीक्षक 44900-142400 7
2-उप आबकारी निरीक्षक 25500-81100 4

नियम 23–परिवीक्षा अवधि में वेतन

(1) फण्डमेण्टल रूल्स में किसी प्रतिकूल उपबन्ध के होते हुए भी परिवीक्षाधीन व्यक्ति को, यदि वह पहले से स्थायी सरकारी सेवा में न हो, वेतनमान में उसको प्रथम वेतन वृद्धि तभी दी जायेगी जब उसने एक वर्ष की संतोषजनक सेवा पूरी कर ली हो और उसे स्थायी भी कर दिया गया हो;

परन्तु यदि संतोष प्रदान न कर सकने के कारण परिवीक्षा अवधि बढायी जाय तो इस प्रकार बढायी गयी अवधि की गणना वेतन वृद्धि के लिए तब तक नहीं की जायेगी जब तक कि नियुक्ति प्राधिकारी अन्यथा निदेश न दे।

(2) ऐसे व्यक्ति का, जो पहले से सरकार के अधीन कोई पदधारण कर रहा था, परिवीक्षा अवधि में वेतन सुसंगत फण्डामेण्टल रूल्स द्वारा विनियमित होगाः

परन्तु यदि संतोष प्रदान न कर सकने के कारण परिवीक्षा अवधि बढायी जाय तो इस प्रकार बढ़ायी गयी अवधि की गणना वेतन वृद्धि के लिए तब तक नहीं की जायेगी, जब तक कि नियुक्ति प्राधिकारी अन्यथा निदेश न दे।

(3) ऐसे व्यक्ति का जो पहले से स्थायी सरकारी सेवा में हो, इस अवधि में वेतन राज्य के कार्यकलापों के सम्बन्ध में सरकारी सेवकों के पद पर सामान्यतया लागू सुसंगत नियमों द्वारा विनियमित होगा।

[14]नियम 24

[***]

भाग-आठ-अन्य उपबन्ध

नियम 25–पक्ष समर्थन

किसी पद पर या सेवा में लागू नियमों के अधीन अपेक्षित सिफारिश से भिन्न किसी अन्य सिफारिश पर, चाहे लिखित हो या मौखिक, विचार नहीं किया जायेगा। किसी अभ्यर्थी की ओर से अपनी अभ्यर्थिता के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यख रूप से समर्थन प्राप्त करने का कोई प्रयास उसे नियुक्ति के लिए अनर्हकर देगा।

नियम 26–अन्य विषयों का विनियमन

ऐसे विषयों के सम्बन्ध में जो विनिर्दिष्ट रूप से इस नियमावली या विशेष आदेशों के अन्तर्गत न आते हों, सेवा में नियुक्त व्यक्ति राज्य के कार्यकलापों के सम्बन्ध में सेवारत सरकारी सेवकों पर सामान्यतया लागू नियमों, विनियमों और आदेशों द्वारा नियंत्रित होंगे।

[15] नियम 27–सेवा की शर्तों में शिथिलता

जहाँ राज्य सरकार का यह समाधान हो जाय कि सेवा में नियुक्‍त व्यक्तियों की सेवा की शर्तों को विनियमित करने वाले किसी नियम के प्रवर्तन से किसी विशिष्ट मामले में असम्‍यक कठिनाई होती है, वहां वह उस मामले में लागू नियमों में किसी बात के होते हुये भी, आदेश द्वारा उस नियम की अपेक्षाओं को उस सीमा तक और ऐसी शर्तों के अधीन रहते हुये, जिन्हें वह मामले में न्यायसंगत और साम्यपूर्ण रीति से कार्यवाही करने के लिए आवश्यक समझे, अभिमुक्त या शिथिल कर सकता है।

परन्‍तु यह कि जहाँ कोई नियम आयोग के परामर्श से बनाया गया है, वहाँ उस नियम की अपेक्षाओं को अभिमुक्‍त या शिथिल करने के पूर्व उस निकाय से परामर्श किया जायेगा।

नियम 28

इस नियमावली की किसी बात का कोई प्रभाव ऐसे आरक्षण और अन्य रियायतों पर नहीं पड़ेगा जिनका इस सम्बन्ध में सरकार द्वारा समय-समय पर जारी किये गये आदेशों के अनुसार अनुसूचित ज‍ातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य विशेष श्रेणियों के अभ्यर्थियों के लिए उपबन्ध किया जाना अपेक्षित हो।

परिशिष्ट “क”

[ नियम 4 (2) देखिये ]

उत्तर प्रदेश अधीनस्थ आबकारी सेवा की सदस्य संख्या और उसमें प्रत्येक श्रेणी के पदों की संख्या निम्‍न प्रकार है-

पद का नाम

 

स्थायी पदों

की संख्या

 

अस्थायी पदों

की संख्या

 

योग

 

अभ्युक्ति

 

1.आबकारी निरीक्षक

 

511 70 581 120 पद आस्‍थगित होने से कुल 461 पद हैं।
2.उप आबकारी निरीक्षक

 

59 45 104

नोट (लेखक द्वारा)–शासन के पत्र संख्या-4/24/305/ई-1/तेरह-2024-1592339/2021/आबकारी अनुभाग-1/लखनऊः दिनांक 07.02.2024 के अन्तर्गत प्रदेश में स्थापित नवीन आसवनियों में आबकारी निरीक्षक के 15 नये पद सृजन किये गये है। पूर्व में स्वीकृत एवं नवसृजित आबकारी निरीक्षकों पदों का विवरण निम्‍नवत है:-

विवरण आबकारी निरीक्षक
वर्तमान में कुल स्‍वीकृत पद 759
नवसृजित पद 15
कुल पद 774

नोट (लेखक द्वारा)–उप आबकारी निरीक्षक पदों का विवरण (स्रोत-आबकारी विभाग कार्यपूर्ति दिग्दर्शक 2024-25) 

विवरण

उप आबकारी निरीक्षक
स्‍थायी 52
अस्‍थायी 106
कुल स्‍वीकृत पद 158

परिशिष्ट “ख”

[ नियम 13 के उपनियम (2) का परन्तुक देखिये]

ऊँचाई सेण्टीमीटर
(1) अनुसूचित जाति, अनुसचित जनजाति और पर्वतीय क्षेत्र की महिला अभ्यर्थियों के लिए 147.00

 

(2) अन्य महिला अभ्यर्थियों के लिए 152.00

Footnote


[1] अधिसूचना संख्‍या 87-ई-1/तेरह-521-72, दिनांक 7 जनवरी, 1992 द्वारा विज्ञापित।

[2] उत्तर प्रदेश अधीनस्थ आबकारी सेवा (प्रथम संशोधन) नियमावली, 2015 द्वारा निकाल दिया गया।

[3] उत्तर प्रदेश अधीनस्थ आबकारी सेवा (प्रथम संशोधन) नियमावली, 2015 द्वारा प्रतिस्‍थापित।

[4] उत्तर प्रदेश अधीनस्थ आबकारी सेवा (प्रथम संशोधन) नियमावली, 2015 द्वारा द्वारा प्रतिस्‍थापित।

[5] उत्तर प्रदेश अधीनस्थ आबकारी सेवा (प्रथम संशोधन) नियमावली, 2015 द्वारा द्वारा प्रतिस्‍थापित।

[6] उत्तर प्रदेश अधीनस्थ आबकारी सेवा (प्रथम संशोधन) नियमावली, 2015 द्वारा प्रतिस्‍थापित।

[7] उत्तर प्रदेश अधीनस्थ आबकारी सेवा (प्रथम संशोधन) नियमावली, 2015 द्वारा प्रतिस्‍थापित।

[8] उत्तर प्रदेश अधीनस्थ आबकारी सेवा (प्रथम संशोधन) नियमावली, 2015 द्वारा प्रतिस्‍थापित।

[9] उत्तर प्रदेश अधीनस्थ आबकारी सेवा (प्रथम संशोधन) नियमावली, 2015 के नियम-10 द्वारा अन्‍तर्विष्‍ट।

[10] उत्तर प्रदेश अधीनस्थ आबकारी सेवा (प्रथम संशोधन) नियमावली, 2015 द्वारा प्रतिस्‍थापित।

[11] उत्तर प्रदेश अधीनस्थ आबकारी सेवा (प्रथम संशोधन) नियमावली, 2015 द्वारा प्रतिस्‍थापित।

[12] उत्तर प्रदेश अधीनस्थ आबकारी सेवा (प्रथम संशोधन) नियमावली, 2015 द्वारा प्रतिस्‍थापित।

[13] उत्तर प्रदेश अधीनस्थ आबकारी सेवा (प्रथम संशोधन) नियमावली, 2015 द्वारा प्रतिस्‍थापित।

[14] उत्तर प्रदेश अधीनस्थ आबकारी सेवा (प्रथम संशोधन) नियमावली, 2015 द्वारा निकाल दिया गया।

[15] उत्तर प्रदेश अधीनस्थ आबकारी सेवा (प्रथम संशोधन) नियमावली, 2015 द्वारा प्रतिस्‍थापित।