उत्तर प्रदेश सरचार्ज शुल्क प्रणाली के अन्तर्गत अनुज्ञापन नियमावली, 1968
दिनांक अप्रैल 2, 1968

सं0 36/दो-619-बी0-यू0पी0 आबकारी अधिनियम, 1910 (1910 के यू0पी0 अधिनियम 4) की धारा 41 के अधीन अधिकारों का प्रयोग करके तथा सरकार की पूर्व स्वीकृति से, आबकारी आयुक्त, उत्तर प्रदेश, सरचार्ज प्रणाली के अन्तर्गत मादक द्रव्यों की बिक्री के अनुज्ञापनों के सम्बन्ध में निम्‍नलिखित नियमावली बनाते हैंः

नियम—1–संक्षिप्त नाम तथा प्रारम्‍भ 

(1) यह नियमावली “उत्तर प्रदेश सरचार्ज शुल्क प्रणाली के अन्तर्गत अनुज्ञापन नियमावली, 1968” कहलायेगी।
(2) यह गजट में प्रकाशित होने के दिनांक से प्रवृत्त होगी।
(3) यह क्रमिक (ग्रेजुएटेड) सरचार्ज शुल्क प्रणाली या समान (uniform) सरचार्ज शुल्क प्रणाली के अन्तर्गत किसी आबकारी कर लगने योग्य वस्तु की फुटकर बिक्री के लिए दिये जाने वाले लाइसेन्स के सम्बन्ध में लागू होगी।

नियम—2

(क) एफ0एल0 7-क (बीयर बार) से भिन्‍न लाइसेन्सों को तय करने के लिये निम्‍नलिखित प्रक्रिया लागू होगी-
(1) जब भी सरचार्ज शुल्क प्रणाली के अन्तर्गत नया अनुज्ञापन स्वीकृत किये जाने का प्रस्ताव किया जाय, कलेक्टर जिला परिषद्, नगर महापालिका या नगरपालिका के कार्यालय में, कलेक्टर, उप/सहायक आबकारी आयुक्त के कार्यालयों में तथा ऐसी अन्य रीति से जिसे कलेक्टर युक्तियुक्त समझे, प्रचार करने के पश्चात् अनुज्ञापन के लिये आवेदन-पत्र आमंत्रित करेगा।
(2) आबकारी-कर लगने योग्य वस्तुओं की फुटकर बिक्री की उन दुकानों की एक सूची जिनके लिये कलेक्टर अनुज्ञापी का चयन करना चाहते हों, कलेक्टर के कार्यालय पर प्रदर्शित की जायेगी।
(3) अनुज्ञापन की स्वीकृति के लिये आवेदन पत्र प्रपत्र जी-28 में (जैसा नियमावली में संलग्‍न है) दिये जायेंगे तथा जिला आबकारी अधिकारी को सम्बोधित किये जायेंगे।
टिप्पणी–(1) आवेदन-पत्र प्राप्त करने का अन्तिम दिनांक कलेक्टर के कार्यालय में आवेदन-पत्र आमंत्रित करने की नोटिस प्रदर्शित करने के दिनांक से कम से कम 15 दिन बाद नियत की जायेगी।
(2) अनुज्ञापन स्वीकृति के लिये आवेदन-पत्र के साथ पच्चीस रुपये की खजाने की रसीद होगी। जिस आवेदन-पत्र के साथ इस प्रकार की खजाने की रसीद नहीं होगी उस पर विचार नहीं किया जायेगा।
(4) जिला आबकारी अधिकारी सभी प्राप्त आवेदन-पत्रों की परिनिरीक्षा करेगा और उन आवेदकों की, जिन्हें वह उपयुक्त समझे, एक सूची तैयार करेगा। सूची तैयार करते समय वह ऐसी जांच कर सकता है या करा सकता है, जिसे वह आवश्यक समझे तथा नियम 3 में निर्धारित सिद्धान्तों द्वारा मार्ग-दर्शित होगा। वह एक दूसरी सूची भी बनायेगा जिसमें उन आवेदकों के नाम होंगे जो उपयुक्त आवेदकों की सूची में सम्मिलित नहीं किए गये हैं और प्रत्येक नाम के आगे उसे पहली सूची में सम्मिलित न करने के कारणों को अभिलिखित करेगा। वह इन दोनों सूची को सम्बन्धित उप/सहायक आबकारी आयुक्त को भेजेगा। उप/सहायक आबकारी आयुक्त प्रत्येक आवेदक की उपयुक्तता के विषय में अपने विचार लिखने के पश्चात् इन सूचियों को कलेक्टर के पास भेज देगा। तत्पश्चात् कलेक्टर ऐसी और जांच कर सकता या करा सकता है जिसे वह आवश्यक समझे और ऐसे कारणों से जो अभिलिखित किये जायेंगे किसी भी आवेदक को जिसे वह उपयुक्त समझे नियम 3 में निर्धारित सिद्धान्तों को ध्यान में रखते हुए, लाइसेंस दे सकता है।
(ख) एफ0एल0 7-क (बीयर बार) लाइसेन्सों को तय करने के लिये निम्‍नलिखित प्रक्रिया लागू होगी। उपयुक्त श्रेणी के लाइसेन्स के लिये कोई भी व्यक्ति, जो इस नियमावली के नियम 3 (1) के अधीन योग्य हो, प्रपत्र जी-28 में जिला आबकारी अधिकारी को आवेदन-पत्र दे सकता है। जिला आबकारी अधिकारी ऐसी जांच कर सकता है या करा सकता है जिसे वह आवश्यक समझे तथा वह मामले को उप/सहायक आबकारी आयुक्त को अग्रसारित करेंगे। वह मामले को कलेक्टर को भेजने के पूर्व इस पर अपने विचार लिखेगा। कलेक्टर ऐसी और जांच करने के पश्चात् जिसे वह आवश्यक समझे तथा नियम 3 में निर्धारित सिद्धान्तों को ध्यान में रखते हुए आवेदक को, यदि वह उपयुक्त पाया जाय, निर्धारित स्थान के लिये लाइसेन्स दे सकता है।
टिप्पणी-अनुज्ञापन की स्वीकृति के लिये आवेदन-पत्र के साथ पच्चीस रुपये की खजाने की रसीद होगी। जिस आवेदन-पत्र के साथ इस प्रकार की खजाने की रसीद नहीं होगी, उस पर विचार नहीं किया जायेगा।

नियम—3–अनुज्ञप्तिधारी के चयन के लिये निम्‍नलिखित सामान्य सिद्धान्त निर्धारित किये जाते हैं

(1) अनुज्ञप्ति के लिये पात्र व्यक्ति निम्‍नलिखित होंगे–
(एक) ऐसे व्यक्ति जो आय-कर, सम्पत्ति-कर या भू-राजस्व के रूप में कम से कम एक सौ रुपये देते हों;
(दो) निम्‍नलिखित श्रेणियों के व्यक्ति जो कलेक्टर के संतोषानुसार पूँजी लगाने की क्षमता रखते हों-
(क) ऐसे व्यक्तियों के परिवार के सदस्य जो स्वतंत्रता के पश्चात राष्ट्र के लिए लड़े गये युद्धों में वीर गति को प्राप्त हुए हों;
(ख) सैनिक जो स्वतन्त्रता के पश्चात् राष्ट्र के लिये लड़े गये युद्धों में अपंग हो गये हों;
(ग) अनुसूचित जाति/अनुसूचित जन जातियों के सदस्य;
(घ) स्वतन्त्रता संग्राम सैनिक के परिवार के सदस्य जो उस पर पूर्णतया आश्रित हों;
(ङ) शिक्षित विधवा;
(च) शिक्षित बेरोजगार जिसका चरित्र जिले के कलेक्टर द्वारा अच्छा सत्यापित किया गया हो;
प्रतिबन्ध यह है कि सरचार्ज प्रणाली के अन्तर्गत ताड़ी की दुकानों के लिये अनुज्ञा-पत्र के लिये पासी, बेलदार, भर, ताड़माली और अन्य अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के समुदायों के सदस्य, जो ताड़ी उत्पादन करने वाले वृक्षों के चुआने के कार्य में लगे हों, पात्र होंगे चाहे वे उपर्युक्त शर्तों को पूरा करते हों या नहीं और अन्य व्यक्तियों को तभी अनुज्ञा-पत्र दिया जायगा जब उक्त समुदायों के सदस्य उपलब्ध न हों।
(2) ईमानदारी तथा स्वयं दुकान की देखरेख करने की योग्यता अनुज्ञापी की मुख्य अर्हता होगी। सामान्यतः स्थानीय निवासी को ही वरीयता देनी चाहिये। न केवल शिक्षित होना काफी है, न बहुत अधिक पूँजी का स्वामी होने से कोई योग्य अनुज्ञापी समझा जायगा। जहां तक सम्भव हो उन पूँजीपतियों को दुकान न दी जाय जो दुकान का काम प्रबन्धक और विक्रेताओं पर छोड़ देते हैं।
(3) जहाँ तक सम्भव हो किसी एक अनुज्ञापी को एक से अधिक दुकान नहीं दी जानी चाहिये।
(4) दुकान में भागीदारी की स्वीकृति केवल निम्‍नलिखित दशाओं में दी जायेगी –
(क) जब वर्तमान अनुज्ञापी स्वेच्छापूर्वक किसी व्यक्ति को अपना भागीदार बनाने के लिये प्रार्थना करता हो और कलेक्टर ऐसे व्यक्ति को लाइसेन्स दिये जाने योग्य समझते हों तथा उसकी यह भी राय हो कि एक या अधिक विक्रेताओं की सहायता से भी अकेले अनुज्ञापी द्वारा दुकान ठीक से नहीं चल सकती है। भागीदारी की आड़ में दुकान अपने नामजद व्यक्ति को स्थानान्तरित करने के अनुज्ञापी के प्रयत्नों को कतई सफल नहीं होने देने चाहिए। साधारणतया जो व्यक्ति दुकान की देखरेख के लिये काफी समय न दे सकता हो, उसे किसी भागीदार को सम्मिलित करने की स्वीकृति न देकर दुकान से इस्तीफा देने के लिये कहना चाहिये। जब अनुज्ञापी अपना पूरा समय देने के बाद भी दुकान का उचित प्रबन्ध न कर पा रहा हो, केवल उसी दशा में भागीदारी की स्वीकृति देनी चाहिये।
(ख) दुकान के लिये आवेदन-पत्र देते समय या उसके पूर्व यदि दो व्यक्ति संयुक्त रूप से भागीदारों में अनुज्ञापन के लिये प्रार्थना करते हैं और कलेक्टर उन दोनों को उपरोक्त सूची में सम्मिलित किये जाने योग्य पाते हैं, उन दशा में उनके नाम केवल एक नाम की भांति समझे जायेंगे।
(ग) किसी भी दशा में एक अनुज्ञापन दो से अधिक व्यक्तियों को संयुक्त रूप से नहीं दिया जायगा।

नियम—4

कलेक्टर यह निर्णय करेंगे कि आबकारी कर लगने योग्य वस्तुओं की बिक्री के किसी अनुज्ञापन का नवीनीकरण किया जाय या नहीं। इसके लिए प्रतिवर्ष सहायक आबकारी आयुक्त के परामर्श से अनुज्ञापियों की वर्तमान सूची की जांच करेंगे। कलेक्टर के विचार से जिन अनुज्ञापियों का चाल-चलन ठीक रहा हो उनके अनुज्ञापन के नवीनीकरण का आदेश दे दिया जायगा। यदि किसी वर्तमान अनुज्ञापी का चाल-चलन अनुचित बताया गया हो तो कलेक्टर ऐसे अनुज्ञापी से एक निर्धारित अवधि के भीतर कारण दिखाने को कहेगा कि क्यों न उसका लाइसेन्स समाप्त कर दिया जाय और ऐसा करते समय अनुज्ञापी को यह भी सूचित करेंगे कि किन कारणों से उसे अयोग्य समझा जा रहा है। अनुज्ञापी का कारण सूचक नोटिस (Show Cause Notice) रजिस्टर्ड पोस्ट द्वारा तामील की जायगी। यदि अनुज्ञापी के स्पष्टीकरण पर विचार करने के पश्चात् कलेक्टर उसे अयोग्य पाते हैं, तो अनुज्ञापन का नवीनीकरण अस्वीकृत कर देंगे और इन्हीं नियमों के अनुसार नये अनुज्ञापी के चयन के लिए आवेदन-पत्र आमंत्रित करेंगे।


[टिप्‍पणी–1. उत्तर प्रदेश सरचार्ज शुल्क प्रणाली के अन्तर्गत अनुज्ञापन नियमावली, 1968 को निम्‍नलिखित नियमावलियों द्वारा संशोधित किया गया है-

(1) प्रथम संशोधन—आबकारी आयुक्त की विज्ञप्ति संख्या 1254/दो-619 दिनांक 21 जनवरी, 1969 द्वारा जारी उत्तर प्रदेश सरचार्ज शुल्क प्रणाली के अन्तर्गत अनुज्ञापन (संशोधन) नियमावली, 1969

(2) द्वितीय संशोधन—उत्तर प्रदेश गजट असाधारण दिनांक 18 अप्रैल, 1974 में प्रकाशित आबकारी आयुक्त की विज्ञप्ति संख्या 1668/दो-614 बी दिनांक 16.4.1974 द्वारा जारी की गई उत्तर प्रदेश आबकारी (सरचार्ज शुल्क प्रणाली के अन्तर्गत अनुज्ञापन) (द्वितीय संशोधन) नियमावली, 1974

(3) तृतीय संशोधन—उत्तर प्रदेश गजट, असाधारण दिनांक मार्च 10, 1976 में प्रकाशित आबकारी आयुक्त की विज्ञप्ति संख्या 10757 दिनांक मार्च 10, 1976 द्वारा जारी की गई। उत्तर प्रदेश आबकारी (सरचार्ज शुल्क प्रणाली के अन्तर्गत अनुज्ञापन) (द्वितीय संशोधन) नियमावली, 1976

(4) चतुर्थ संशोधन—उत्तर प्रदेश गजट, भाग-1 (क) दिनांक 3.10.84 में प्रकाशित आबकारी आयुक्त की विज्ञप्ति संख्या 4306/दस-97 बी (7) लाइसेंस दिनांक अक्टूबर 27, 1984 द्वारा जारी उत्तर प्रदेश (सरचार्ज शुल्क प्रणाली के अन्तर्गत अनुज्ञापन) (तृतीय संशोधन) नियमावली, 1984

(5) पंचम संशोधन—उत्तर प्रदेश गजट, असाधारण दिनांक मार्च 24, 1986 में प्रकाशित शासन की विज्ञप्ति संख्या 1174-ई-1/तेरह-405-84 दिनांक मार्च 24, 1986 द्वारा जारी उत्तर प्रदेश (सरचार्ज प्रणाली के अन्तर्गत अनुज्ञापन) (चतुर्थ संशोधन) नियमावली, 1986

2. उत्तर प्रदेश (सरचार्ज शुल्क प्रणाली के अन्तर्गत अनुज्ञापन) नियमावली, 1968 आबकारी आयुक्त द्वारा संयुक्त प्रान्त आबकारी अधिनियम 4, 1910 की धारा-41 के अधीन राज्य सरकार का पूर्व स्वीकृति से बनाई गई। 1969, 1974, 1976 एवं 1984 संशोधन नियमावलियाँ की धारा-41 के अधीन जारी की गई। ये नियमावलियाँ राज्य सरकार द्वारा बनाई जानी चाहिए थी क्योंकि यह मामला उन विषयों से सम्बन्धित है जो धारा-40 की उपधारा (2) के खण्ड (ड) तथा (च) के अन्तर्गत आते हैं। इन नियमों की वैधता को चुनौती दी गई। अतएव उक्त नियमों को वैध बनाने हेतु धारा 40 की उपधारा (1) में निम्‍नलिखित परन्तुक बढ़ाया गया–

“प्रतिबन्ध यह है कि यह समझा जायेगा कि इस अधिनियम के प्रारम्भ से पूर्व, राज्य सरकार की पूर्व स्वीकृति से आबकारी आयुक्त उत्तर प्रदेश, द्वारा बनाई गई उत्तर प्रदेश सरचार्ज शुल्क प्रणाली के अन्तर्गत अनुज्ञापन नियमावली, 1968, जैसा कि वह समय-पर आबकारी आयुक्त, उत्तर प्रदेश द्वारा संशोधित की गई है जब तक कि राज्य सरकार इस धारा के अधीन उसका परिवर्तन, निरसन संशोधन न करे, इसी प्रकार विधिमान्य और प्रभावी है और सर्वदा रही है, मानो उक्त नियमावली राज्य सरकार के द्वारा इस धारा के अधीन विधिवत बनाई गई हो।”
इस सम्बन्ध में कृपया उत्तर प्रदेश अधिनियम संख्या 5, 1976 की धारा-3 देखें।

3. उत्तर प्रदेश (सरचार्ज शुल्क प्रणाली के अन्तर्गत अनुज्ञापन) (तृतीय संशोधन) नियमावली, 1984, जो आबकारी आयुक्त द्वारा बनाई गई थी, समादेश याचिका अनन्तराम बनाम उत्तर प्रदेश राज्य तथा अन्य (1985 EFR इलाहाबाद हाईकोर्ट 325) में माननीय उच्च न्यायालय द्वारा निरस्त कर दी गई क्योंकि उसे बनाने हेतु आबकारी आयुक्त अधिकृत नहीं है।]