नियम-1

यह नियमावली उत्तर प्रदेश रेस्टरां (शराब का उपभोग) नियमावली, 1952[1] कही जायेगी।

नियम-2-परिभाषा

जब तक प्रसंग में कोई बात विरुद्ध न हो, इस नियमावली में –

(क) ‘देशी शराब’ या ‘विदेशी शराब’–से तात्पर्य ऐसी शराब से है जिसे राज्य सरकार ने संयुक्त प्रान्त आबकारी अधिनियम, 1910 (संयुक्त प्रान्त अधिनियम संख्या 4, 1910) की धारा 4 की उपधारा (1) तथा (2) के अन्तर्गत क्रमश: ऐसी शराब घोषित तथा वर्गीकृत किया है।

(ख) “छूट प्राप्त”– से तात्पर्य इस नियमावली के अन्तर्गत छूट प्राप्त रेस्टरां (जलपान गृह) के स्वामी से है।

(ग) “छूट प्राप्त रेस्टरां”– से तात्पर्य ऐसे रेस्टरां से है जिसे इस नियमावली के अन्तर्गत छूट प्रदान गई है।

(घ) “स्वामी”– से तात्पर्य रेस्टरां के स्वामी से है और इसमें उसका प्रबन्धक या अधिष्ठाता सम्मिलित है ।

(ङ) “रेस्टरां”– से तात्पर्य किसी स्थान से है जिसमें प्रतिफल के लिये भोजन तथा पेय पदार्थ के उपभोग के लिये जनता का प्रवेश है तथा इसमें काफे, होटल बार, वातित (सोड़ा युक्तजल) या शर्बत, पान या चाट की दुकानें तथा अन्य स्थान जहां भक्षणीय वस्तुएँ विक्रय की जाती हैं, सम्मिलित हैं।

(च) “अधिनियम”– से तात्पर्य संयुक्त प्रान्त आबकारी अधिनियम, 1910 (संयुक्त प्रान्त अधिनियम संख्या 4, 1910) से है।

(छ) “सरकार”– से तात्पर्य उत्तर प्रदेश की सरकार से है।

नियम-3छूट का प्रमाण-पत्र

अधिनियम की धारा 20 की उपधारा (4) द्वारा सृजित बन्धनों के साथ-साथ तथा चाहे मात्रा सरकार द्वारा यथा घोषित निजी कब्जे में रखने की सीमा के भीतर या अधिनियम की धारा 6 (1) के अन्तर्गत फुटकर विक्रय की सीमा के भीतर हो, कोई भी व्यक्ति अपने कब्जे में कोई देशी शराब या विदेशी शराब तब नहीं रखेगा जब तक छूट का प्रमाण पत्र ऐसे परिसर के सम्बन्ध में प्रदान न कर दिया गया हो या लागू हो सिवाय इस शर्त के इसे न रेस्टरां की तरह प्रयुक्त परिसर पर या ऐसे स्थान पर जिसके लिये पूर्व नियम के उपबन्ध लागू किये गये हैं या ऐसे अन्य स्थान पर जिसके सम्बन्ध में सरकार द्वारा विज्ञप्ति जारी की जा चुकी है या बाद में जारी की जा सकती है, ले जाया जायगा या रखा जायगा।

नियम-4

 किसी विशेष क्षेत्र में शराब के उपभोग के लिये छूट प्राप्त रेस्टरां की संख्या मद्य-निषेध तथा संयम के हित को दृष्टि में रखते हुए जिले के कलेक्टर तथा आबकारी आयुक्त से परामर्श के पश्चात् निर्धारित या नियत की जायगी।

नियम-5- आबकारी मेनुअल खण्ड II के प्रपत्र बी 41 में छूट का प्रमाण पत्र

इस नियमावली के अन्य उपबन्धों के अधीन तथा इसमें अन्तर्विष्ट शर्तों या उन शर्तों जो आबकारी आयुक्त के आदेश से एतत् पश्चात् जोड़ी जा सकती है, के अधीन सम्बन्धित जिले के कलेक्टर द्वारा उसमें निर्दिष्ट परिसर के लिए 1 अप्रैल से मार्च 31 तक एक वर्ष से अनधिक अवधि के लिए जारी किया जा सकता है किन्तु सरकार ऐसे प्रमाण पत्र कम अवधि के लिये भी स्वीकृत कर सकती है ।

नियम-6

छूट का प्रमाण पत्र एक सामान्य मामले जैसे नहीं किन्तु उचित छानबीन के पश्चात् प्रदान किये जायँगे। वे उन परिसरों के सम्बन्ध में प्रदान नहीं किये जायँगे जिन पर अल्पवयस्क विद्यार्थियों, बुरे आचरण वाले व्यक्तियों, अपराधियों या वेश्याओं के आने का संदेह है।

नियम-7

कलेक्टर द्वारा छूट के प्रमाण पत्र को किसी भी समय बिना कोई कारण बतलाये निरस्त किया जा सकता है।

नियम-8

प्रमाण पत्र सिवाय उस परिसर के सम्बन्ध में जिसके लिये यह प्रदान किया गया है, प्रयोग में नहीं लाया जायेगा।

नियम-9

आबकारी निरीक्षक या उससे उच्चतर स्तर के आबकारी अधिकारियों, तहसीलदार या उससे उच्चतर स्तर के राजस्व अधिकारियों तथा थानाध्यक्ष या उससे उच्चतर पुलिस अधिकारियों द्वारा सभी समय छूट प्राप्त परिसरों का निरीक्षण किया जा सकेगा।

नियम-10

रेस्तरां के परिसर पर देशी या विदेशी शराब का किसी भी मात्रा में पाया जाना निजी कब्जे में रखने की सीमा का विचार किये बिना, रेस्टरां के स्वामी या प्रबन्धक के विरुद्ध ऐसी शराब के अवैध रूप में कब्जे में रखने के लिए अधिनियम की धारा 71 के अन्तर्गत उपधारणा बनाये जाने के लिये पर्याप्त होगा और वह अधिनियम की धारा 60 के अन्तर्गत तब तक दण्ड का भागी होगा जब तक वह यह स्थापित न कर दे, कि उसके द्वारा उचित तथा युक्तियुक्त सावधानियाँ अपने रेस्टरां के परिसर में ऐसी शराब की उपस्थिति को रोकने के लिए बरती गयी।

विज्ञप्ति[2]

पूरे राज्य में महापालिका, नगरपालिका, छावनी, अधिसूचित तथा नगर क्षेत्रों तथा समस्त ऐसे क्षेत्रों के 5 मील के भीतर कोई भी व्यक्ति रेस्टरां, काफे, होटल, बार या वातित जल, शर्बत, चाट या पान की दुकान की तरह प्रयुक्त परिसर पर या अन्य स्थान पर, जहां भक्षणीय पदार्थ विक्रय किये जाते हैं या उपभोग किये जाते हैं कोई भी देशी या विदेशी शराब नहीं रखेगा जब तक ऐसा स्थान देशी या विदेशी शराब के विक्रय तथा उपभोग के लिए अनुज्ञप्त नहीं है या उत्तर प्रदेश रेस्टरां (शराब का उपभोग) नियमावली, 1952 के नियमों के अन्तर्गत उसे छूट न दे गई हो।

टिप्पणी— इस नियम के निमित्त रेस्टरां, काफे, होटल, बार या स्थान जहाँ भक्षणीय पदार्थ बिक्री या उपभोग किये जाते हैं से तात्पर्य ऐसे स्थान या परिसर से है जहाँ प्रतिफल के लिए भोजन या पेय पदार्थों के उपभोग के लिए जनता का प्रवेश है तथा इनमें वातित सोडा, जल, शर्बत, पान तथा चाट की दुकानें सम्मिलित हैं।

Footnote


[1] शा0वि0 संख्‍या 1855 (iii) ई/तेरह-186-51 दि0 सितम्‍बर 28, 1952 द्वारा प्रकाशित।

[2]  शा0वि0 संख्‍या 6703 ई/तेरह-275 (ii)-59 दि0 दिसम्‍बर 4, 1961 द्वारा प्रकाशित।